धरम करम

रूप बदलतें हैं पर शख्सियत नहीं 'हरि, हरि' या 'अल्लाह, अल्लाह' से नहीं इंसान का असली धर्म बतायें उसके कर्म ही |

कर्मा चक्र

चोरी चोरी होती है बड़ी हो या छोटी, चोरी करने वाला चोर ही कहलाता है पर किसका था वो जो तुमने चुराया ये बात बहुत मायने रखती है |तुम जो कुछ भी चुराओगे एक दिन वह तुमसे भी कोई चुरा लेगा और उस वक़्त तुम्हे उस वस्तु की उतनी ही जरुरत होगी जितनी की तब … Continue reading कर्मा चक्र

कालकंठ

समय की आहटों को जो पहचानता वो कालकंठ कहलाता अपनों को लिए जब वह कोई गीत सुनाता  हर तरफ महफूज़ सा सन्नाटा छा जाता एक जिंदगी में कई उम्र का एहसास हो जाता भटका हुआ काफिला देता उसे रौशनी हर रात ढूँढ़ते हुए स्वराज वो लिखता वक़्त की किताब करता वो अनजानी राहो पर भ्रमण … Continue reading कालकंठ

क्यों

कोई समझाए  मुझे  इंसान का पागलपन कैसे गुज़ार देता अपना पूरा जीवन  बेचते खरीदते अपने रात और दिन जो उसने सोचा वो कभी न हुआ जो हुआ वो उसने कभी न सोचा जो होगा वो कभी सोच नहीं सकता क्यों कोई बनाता सपनों के महल तो कोई रहता चिंता में मगन  ।।

आंसू

दीवानगी की इंतहा पार करते चले कुछ किस्से कहानियों में मसूद हुए कुछ चमक कर खो  गए जिनको वक़्त भी न रोक पाए वों ऐसा निराला दरिया बनें मजरूह का हर मर्ज जो जला जाए अंतिम अभय

निर्मम न्याय

जितना प्यार दोगे उतना मिलेगा जितनी नफरत करोगे उतनी मिलेगी कब, कहाँ, कैसे, किससे, ये वो तय करेगा । दुःख का सागर है ये दुनिया क्यूंकि पुत्र माफ़ कर सकता है पिता कभी माफ़ नहीं करता । जो आज महलों में रहे कल वही सड़कों पर भूखा सोता जो आज बड़ी बड़ी गाड़ियां रखता कल … Continue reading निर्मम न्याय

खिलवाड़

जब तू मुझे छोड़ गया तुझे ख़ुशी हुई या अफ़सोस ये तो मैं कह नहीं सकता, शायद तेरी दगा के सबब से तू कभी मुझसे नज़रे ना मिला पाया । तेरे खेल से मैं वाकिफ़ था फिर भी मैं जान के हार गया, क्यूंकि मैंने कभी ना सोचा था की वो नाक़िस खेल तू मेरे … Continue reading खिलवाड़

यात्री

जब गुलामी का एहसास हुआ तब आज़ादी की जंग लड़ने चल पड़ा जब नाकामी मिली तब कर्म की राह पकड़ ली जब कर्म मुश्किल लगने लगा तब धर्म का सहारा लिया जब धोखा मिला तब विश्वास करना आ गया जब पागलपन का दौर गुज़रा तब समझदारी का सबक भी सीख गया जीवन की पाठशाला में … Continue reading यात्री

मूरखवंश

बात ये नहीं की वो हिन्दू है या मुसलिम बात ये है की क्या वो इंसान नहीं बात ये नहीं है की रामायण काल्पनिक है या वास्तविक बात ये है की क्या राम और हनुमान पूज्यनीय नहीं बात ये नहीं की वेद पुराण असली है या नकली बात ये है की क्या ये हमें कुछ … Continue reading मूरखवंश